आगरा: दलितों की राजधानी कहे जाने वाले आगरा में अब जाटव समाज का बहुजन समाज पार्टी से मोहभंग होता नज़र आ रहा है। किसी समय में ताजनगरी में विधानसभा की नौ सीटों में से सात सीटों पर बसपा का कब्जा था। लेकिन आज बसपा पार्टी के झंडे और उसकी अध्यक्ष मायावती के फोटो जाटव महापंचायत के द्वारा जलाए जा रहे हैं। इस दौरान समाज के लोगों ने बसपा सुप्रीमों के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर अपना विरोध जताया।
जाटव समाज के लोगों का कहना है कि अनुसूचित जाति के लोग आंख बंद कर बहन जी पर भरोसा करते हैं लेकिन समाज के ज्वलंत मुद्दों पर वह केवल ट्वीट कर काम चलाती हैं। आगरा जाटव महापंचायत के अध्यक्ष रामवीर सिंह कर्दम ने कहा कि तमाम पार्टियों के राष्ट्रीय नेता हाथरस पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे हैं। मगर बसपा सुप्रीमो ने दलित युवती के पीड़ित परिवार से मिलने की जहमत नहीं उठाई। उन्होंने हाथरस में पीड़ित परिवार से न मिलकर यह दर्शाया है कि वो सिर्फ दिखावे के लिए दलितों का समर्थन करती हैं और दलितों के वोट पर राजनीति करती हैं। अब समाज जाग गया है और जो दलितों के हित में काम करेगा, दलित उसे ही वोट देगा। बड़ी संख्या में मौजूद दलित समाज के लोगों ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने इस तरह के कई और अन्य उदाहरण देते हुए बसपा मुखिया मायावती के पोस्टर जलाए और बसपा के झंडे जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।
बता दें कि आगरा में जगदीशपुरा इलाका बीएसपी का गढ़ माना जाता है। यहां बहुतायत में जाटव समाज के लोग रहते हैं। अनुमान लगाया जाए तो जाटव समाज शहर और जिले की हर विधान सभा में जीत-हार की स्थिति रखता है। जाटव समाज को बसपा का कद्दावर वोटर माना जाता है लेकिन दलितों की राजधानी से बीएसपी मुखिया का विरोध होना बहुजन समाज पार्टी के लिए निश्चित रूप से चिंताजनक है।