आगरा: उत्तर भारत के प्रमुख मेलों में शुमार श्री बटेश्वरनाथ मेला का आयोजन इस साल नहीं होगा। कोरोना महामारी के चलते जिला प्रशासन ने मेले की अनुमति नही दी है, क्योंकि इस मेले में लाखों की भीड़ उमड़ती है। 374 साल में ये पहली बार है कि इस मेले को नही लगाया जा रहा है। इससे स्थानीय लोगों में मायूसी है।
दीपावली त्योहार से दो दिन पहले शुरू होने वाला मेला अगहन मास की पंचमी तक लगता है। जिला पंचायत द्वारा आयोजित बटेश्वर मेले के पहले चरण में बैल, गाय, दूसरे चरण में घोड़े, गधे, खच्चर का मेला लगता है। तीसरे चरण में लोक मेले का आयोजन होता है, जिसमें एकादशी, पूर्णिमा, दौज को महामंडलेश्वर बाबा बालक दास के नेतृत्व में नागा शाही स्नान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों लोग यमुना में डुबकी लगाकर भोले के दर पर मत्था टेकने पहुंचते हैं। दौज की श्रृंगार पूजा भदावर राजघराने के प्रतिनिधि करते हैं।
इस मेले को देखने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते है। इसके मद्देनज़र जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है कि इस बार बटेश्वर मेला आयोजित नहीं किया जाएगा। इसके लिए सीडीओ जे रीभा ने जिला पंचायत प्रशासन को निर्देश दिए कि कोविड-19 गाइडलाइन के चलते मेले की अनुमति नही दी जा सकती है।
बता दें कि 1646 में तत्कालीन भदावर नरेश बदन सिंह ने बटेश्वर में एक लंबा बांध बनवाकर यमुना का बहाव थोड़ा मोड़ा था। इसी बांध पर 101 शिव मंदिर बने है। इसी साल उन्होंने उत्तर भारत के प्रमुख मेले श्री बटेश्वर नाथ की शुरुआत की थी।