आगरा

आगरा में चिलर प्लांट में अमोनिया गैस का रिसाव, ऑपरेटर की मौत

  • चिलर प्लांट में अमोनिया गैस के रिसाव से वहां फंस गए तीन श्रमिक
  • पुलिस और ग्रामीणों ने रेस्क्यू कर चिलर प्लांट में फंसे श्रमिकों को निकाला बाहर
  • पंप ऑपरेटर मानवेंद्र उर्फ राजू की हुई मृत्यु, दो घंटे बाद निकाला जा सका शव

आगरा। फतेहाबाद के निबोहरा में मंगलवार की शाम पूर्व ब्लॉक प्रमुख के चिलर प्लांट में रिसाव से दहशत फैल गई। प्लांट के बाहर डेरी पर मौजूद दो दर्जन से अधिक लोग गैस की चपेट में आने से बचने के लिए अपने वाहनों को छोड़कर भाग गए। चिलर प्लांट में फंसे पंप ऑपरेटर को दो घंटे बाद दमकल कर्मियों ने बाहर निकाला, तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी। गैस के रिसाव से क्षेत्र में तीन घंटे तक दहशत की स्थिति रही।

निबोहरा में गोविंद चिलर प्लांट से आधा किलोमीटर दूरी पर गांव पोखरिया और डॉक्टर का पुरा हैं। शाम को सवा सात बजे गैस का रिसाव होने की जानकारी इन गांवों को भी मिली। दोनों गांवों की आबादी 400 से अधिक है। गैस का प्रभाव गांवों तक आने की आशंका पर ग्रामीण घरों से बाहर निकलकर दूर चले गए थे। इससे कि रिसाव तेज होने की स्थिति में प्रभाव उन तक नहीं पहुंचे। मौके पर पहुंचे एसीपी फतेहाबाद अमरदीप लाल समेत अन्य पुलिसकर्मियों को तेज रिसाव के चलते वहां रुकना मुश्किल हो रहा था। उन्हें मुंह पर कपड़ा बांधना पड़ा। इसके बावजूद चिलर प्लांट में जाने का साहस नहीं जुटा सके।

दमकल कर्मियों ने पहुंचकर पानी की बौछार छोड़ी। जिसके बाद वह मास्क पहनकर अंदर गए। तब तक वहां फंसे मानवेंद्र की मृत्यु हो चुकी थी। उनका शव वाल्व के पास मिला। बड़े भाई के चिलर प्लांट में गैस रिसाव की जानकारी पर पिनाहट के पूर्व ब्लॉक प्रमुख सुग्रीव चौहान भी पहुंचे। उन्होंने पुलिस को बताया कि प्लांट करीब एक वर्ष से बंद था। मजदूर मशीन सही करने आए थे। मुख्य अग्निशमन अधिकारी देवेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रथम दृष्टया सप्लाई लाइन में रिसाव होना बताया गया है। प्लांट में अमोनिया गैस के रिसाव को लेकर जांच कर इसकी रिपोर्ट प्रशासन को दी जाएगी।

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बता दें कि गैस रिसाव की यह पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व दिसंबर 2017 में फतेहाबाद शमसाबाद रोड पर स्थित घाघपुरा के पास गार्गी कोल्ड स्टोरेज में भी अमोनिया गैस का रिसाव हुआ था। जिसमें कई बीघा आलू की फसल जल गई थी। जिसके मुआवजे की मांग किसानों द्वारा की गई थी। इस समय किसानों की फसल अगर खेतों में खड़ी होती तो जल सकती थी।