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ताज महोत्सव पर लगा कोरोना का ग्रहण, नही लगेगा शिल्प, कला, संस्कृति का मेला

आगरा (रोमा): शिल्प, कला, संस्कृति और व्यंजनों का उत्सव अंतरराष्ट्रीय ताज महोत्सव का आयोजन इस वर्ष नही होगा। ताज महोत्सव में विभिन्न राज्यों के रंग भी नज़र नहीं आएंगे। देशभर के शिल्पिओं को अब इस महोत्सव के लिए अगले साल का इंतजार करना होगा। 10 दिवसीय इस महोत्सव में एक करोड़ से ज्यादा लोग यहां आकर महोत्सव का आनंद उठाते थे।

ताज महोत्सव की शुरुआत सन् 1992 में हुई थी। शिल्पग्राम में शुरू हुआ ताज महोत्सव 3 साल बाद ही अंतरराष्ट्रीय महोत्सव की सूची में शामिल कर लिया गया था। इस महोत्सव में देशभर के शिल्पी यहां आकर अपने हुनर दिखाते थे। जिसे देखने के लिए देसी ही नही बल्कि विदेशी सैलानी भी पहुंचते थे। ताज महोत्सव का आयोजन हर साल 18 से 27 फरवरी तक होता है।

इस महोत्सव में दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य प्रदेशों से राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित शिल्पी आकर 10 दिनों की तक बिक्री करते थे। लेकिन अब उन्हें महोत्सव में आने के लिए अगले साल का इंतजार करना होगा।

इसके साथ ही ताज महोत्सव में कई शहरों की मशहूर व्यंजनों की स्टाल भी लगती थी। वहीं रात में शिल्पग्राम के मुक्ताकाशीय मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे। इन कार्यक्रमों में बॉलीवुड के भी कलाकार आकर दर्शकों का मनोरंजन करते थे। बीते 30 सालों में पहली बार ताज महोत्सव का आयोजन नहीं होगा।

यूपी टूरिज्म के उप निदेशक अमित कुमार ने बताया कि कोरोना के चलते ताज महोत्सव का आयोजन संभव नहीं था। महोत्सव में भीड़ होने की स्थिति में कोरोना का खतरा बढ़ सकता था। इसके लिए फाइल मंडलायुक्त के पास भेजी थी वहां से महोत्सव ना कराने के लिए कह दिया गया।

वहीं ताज महोत्सव समिति के अध्यक्ष एवं आगरा के मंडलायुक्त अनिल कुमार ने बताया कि महोत्सव में काफी लोग आते हैं, इससे परेशानी हो सकती थी। कोरोना के चलते ताज महोत्सव के आयोजन को ना करने का फैसला लिया गया है।