आगरा: पूरे देश में शनिवार को गणेश चतुर्थी का पर्व सादगी के साथ मनाया गया। ताजनगरी आगरा में भी प्रथम देवता गजानन हर घर में विराजे। गणेश भक्तों ने भक्तिभाव से शंख बजाकर उन्हें स्थापित किया और आरती संग मोदक और लड्डू का भोग अर्पित किया। लेकिन कोरोना का चलते इस बार शहरभर में जगह- जगह सजने वाले पंडाल नही लगे। लोगों ने अपने घरों में पूरे विधि-विधान के साथ गणेश प्रतिमा को स्थापना कर पूजा-अर्चना की और शाम को आरती करने के बाद उनको भोग लगाकर गणपति बप्पा के जयकारे लगाए।
वहीं हर साल श्री गणेश महोत्सव समिति द्वारा बल्केश्वर कॉलोनी में सजने वाले गणेश पंडाल के “बल्केश्वर के राजा” भी कॉलोनी के एक घर में विराजे। बल्केश्वर के राजा यानि गणेश जी की मूर्ति भी विशेष है। इस मूर्ति को पूरी तरह से इको फ्रेंडली बनाया गया है। इस मूर्ति को कोलकाता के कारीगरों ने मिट्टी, गोबर और शहद से बनाया है। वहीं इस मूर्ति की लम्बाई पिछले साल की अपेक्षा छोटी है। ये मूर्ति करीब 4 फुट और वजन करीब 150 किलोग्राम है। वहीं इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजेशन का ध्यान रखा गया।
कोरोना महामारी के चलते इस बार रौनक न के बराबर ही देखने को मिल रही है। लेकिन गणेश भक्त अपने गणपति बल्केश्वर के राजा को देखने के लिए पहुंचे और उन्होंने बप्पा से कोरोना के खात्मे के लिए प्रार्थना की।
रिद्धि-सिद्धि के दाता, भाग्यविधाता, विघ्नविनाशक भगवान श्री गणेश जी महाराज की मूर्ति की स्थापना के बाद 11 दिनों तक सुबह शाम पूजा व आरती का आयोजन किया जाएगा और फिर अंनत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमा विसर्जन के साथ बप्पा को विदाई दी जायेगी। साथ ही मंगलमूर्ति के नाम से पुकारे जाने वाले भगवान गणेश को विसर्जित करने से पहले उनको अगले वर्ष भी आने का निमंत्रण भी दिया जायेगा।