आगरा उत्तर प्रदेश

समाज के वायरस पर चला प्रशासन का डंडा, इलाज के नाम पर मनमानी के आरोप पर डीएम ने रवि हॉस्पीटल को किया डिबार

आगरा (बृज भूषण): कोरोना संकट के इस दौर में आपदा को अवसर बनाने वालों की कमी नही है। ताजनगरी के एक निजी अस्पताल पर मनमानी के आरोप लगे है। आरोप के मुताबिक अस्पताल ने कोविड मरीज से 9.60 लाख रुपये वसूले। इसमें सिर्फ दवाई का बिल 4,65,876 लाख रुपये है। अस्पताल की मनमानी पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए रवि हॉस्पिटल में कोविड के इलाज पर रोक लगा दी है और मामले में जांच के आदेश दिए है।

कृष्णा नगर निवासी अरुन कंसल पुत्र शंभु दयाल को परिजनों ने कोरोना संक्रमित होने पर उपचार के लिए रवि हॉस्पिटल में भर्ती किया था। 19 दिन बाद 28 अप्रैल को मरीज अरुन कंसल की मौत हो गई। अस्पताल ने इलाज खर्च के 9,60,121 रुपये लेकर शव दिया। इलाज खर्च के बिल में 4,65,876 रुपये दवाई खर्च जोड़ा गया है। 

कोविड रोगियों के उपचार के लिए शासन ने दरें निर्धारित कर रखी हैं। निर्धारित दरों से अधिक वसूली के आरोप पर जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने सोमवार को रवि हॉस्पिटल को कोविड सूची से बाहर कर दिया है। अस्पताल में कोविड के नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी गई है। अस्पताल को पहले से भर्ती कोविड मरीजों का उपचार उनके स्वस्थ होने तक करना पड़ेगा। 

जिलाधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि कई बार कहने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने इलाज खर्च की शुल्क सूची चस्पा नहीं की। खाली बेड, वेंटिलेटर का ब्योरा चस्पा नहीं किया। अस्पताल को प्रतिबंधित किया है। अस्पताल प्रबंधन को इस मामले में उन्हें और सीएमओ को अपना स्पष्टीकरण देना पड़ेगा। ऐसा नहीं करने पर अस्पताल के विरुद्ध कठोर कार्रवाई होगी।

वहीं रवि हॉस्पिटल के संचालक व आईएमए के पूर्व अध्यक्ष रवि मोहन पचौरी ने कहा कि प्रशासन ने बिना जांच के कार्रवाई की है। मैं अपना स्पष्टीकरण दे दूंगा। ये मरीज हमारे अस्पताल में 19 दिन तक वेंटिलेटर पर भर्ती रहा। इनके इलाज के लिए बाहर से दवाएं भी मंगानी पड़ीं। इसलिए बिल अधिक आया है।