दुनिया के सबसे घातक लड़ाकू विमानों में शुमार राफेल जेट फाइटर प्लेन बुधवार को आखिरकार भारत को मिल गए। फ्रांस के मेरिगनेक एयरबेस से सोमवार को उड़ान भरने वाले पांच राफेल विमान करीब सात हजार किलोमीटर का सफर तय करने के बाद दोपहर करीब 3 बजकर 10 मिनट पर वायुसेना के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पहला राफेल विमान उतरा। इसके बाद एक-एक कर बाकी चारों विमानों ने 3 बजकर 13 मिनट पर सकुशल लैंडिंग की।
इससे पहले राफेल विमानों के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने पर दो सुखोई-30 विमानों ने उनकी अगवानी की और अंबाला एयरबेस पर लैंड करने के बाद वाटर सैल्यूट दिया गया। इन विमानों में तीन एक सीट वाले, जबकि दो विमान दो सीट वाले हैं। इन्हें अंबाला की 17वीं स्क्वाड्रन में शामिल किया गया, जिसे ‘गोल्डन एरोज’ के नाम से भी जाना जाता है।
रूस से सुखोई लड़ाकू विमानों की खरीद के करीब 23 साल बाद अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों का बेड़ा वायुसेना को मिला है। इन विमानों के वायुसेना में शामिल होने से चीन और पाकिस्तान पर भारत को हवाई युद्धक क्षमता में बढ़त हासिल होगी। निर्विवाद ट्रैक रिकॉर्ड वाले राफेल विमानों को सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में गिना जाता है।
राफेल की लैंडिंग के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने संस्कृत के श्लोक से स्वागत किया। पीएम ने ट्वीट किया, राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च। नभ: स्पृशं दीप्तम्… स्वागतम्।
हालांकि बुधवार को पांच राफेल विमानों को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया है लेकिन औपचारिक समारोह अगस्त में होगा। इस कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत वायुसेना के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे।
बता दें कि एनडीए सरकार ने 23 सितंबर, 2016 में फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59 हजार करोड़ का करार किया था। यह सौदा वायुसेना की कम होती युद्धक क्षमता में सुधार के लिए किया गया था।