आगरा उत्तर प्रदेश

बंदरों के आतंक से मिलेगा छुटकारा, नगर निगम ने की बड़ी तैयारी

  • 14 करोड़ की लागत से पांच एकड़ में बनेगा ‘रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’
  • रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’ में पहले 500 बंदरों की होगी क्षमता
  • यह उत्तर प्रदेश का पहला मंकी रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर होगा

आगरा। ताजनगरी के लोगों को जल्द ही बंदरों के आतंक से छुटकारा मिलने वाला है। बंदरों के लिए नगर निगम द्वारा पांच एकड़ में ‘मंकी रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’ बनाया जाएगा। यह प्रदेश का पहला रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर होगा। इसे बनाने में करीब 14 करोड़ की लागत आएगी।

बंदरों ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में आतंक मचा रखा है। ताजमहल सहित अन्य स्मारकों पर अक्सर पर्यटकों पर हमला करने की घटनाएं सामने होती रहती है। बंदरों के आतंक से बचाव के लिए सरकारी मशीनरी द्वारा कई प्रयास किए जा चुके हैं। नगर निगम द्वारा कई संस्थाओं को बंदरों की नसबंदी के लिए ठेका दिया जा चुका है। इसके बाद भी बंदरों की संख्या कम नहीं हो रही है। संस्थाएं बंदरों को एक जगह से पकड़ते हैं और दूसरी जगह छोड़ देते हैं। आए दिन बंदरों के हमलावर होने से हादसे हो रहे हैं। गर्मी में भूख प्यास के चलते बंदरों के हमले भी बढ़ गए हैं।

ताजनगरी में बंदरों की संख्या 90 हजार के आस-पास पहुंच चुकी है। बंदरों के आतंक इतना बढ़ गया है कि रोज विभिन्न क्षेत्रों में लोग घायल हो रहे हैं। हाल ही में छत से गिरकर एक युवक की मौत हो गई थी। राजा की मंडी रेलवे स्टेशन, एसएन मेडिकल कॉलेज, स्टेडियम हो या अन्य कोई स्मारक सभी जगह इनका आंतक है। ऐसे में नगर निगम ने एक बड़ी तैयारी की है, जिससे शहरवासियों को बंदरों के आतंक से निजात मिल सके।

नगर निगम के मुख्य पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि आगरा के सिकंदरा मुस्तकिल में नगर निगम की शूटिंग रेंज की जमीन खाली पड़ी हुई है। यहां पांच एकड़ में मंकी रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाने के लिए डीपीआर तैयार की गई है। 14 करोड़ रुपये की लागत से रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाया जाएगा। आगरा का रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर प्रदेश का पहला सेंटर होगा। इस सेंटर में शहर से बंदर पकड़े जाएंगे। बंदरों की नसबंदी की जाएगी, जिन बंदरों की तबीयत ठीक नहीं है, उनका इलाज भी किया जाएगा। इसके बाद बंदरों को जंगल में छोड़ा जाएगा, जिससे शहर में बंदरों की संख्या कम हो सके। रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की पहले चरण में क्षमता 500 रखी जाएगी, इसके बाद बढ़ाकर 2000 बंदर तक की जाएगी।